
कालसर्प दोष-KalSarpa Dosha:Durg Bhilai Astrologer
Durg Bhilai Astrologer लक्ष्मी नारायण बताते है की कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय अवधारणा है, जिसे सांपों का श्राप माना जाता है। इस शब्द का अर्थ है ‘काल’ जो मृत्यु को दर्शाता है और ‘सर्प’ जो सांप का संकेत करता है। ज्योतिष में राहु और केतु को पापी ग्रहों के रूप में देखा जाता है, जिन्हें सर्प ग्रह भी कहा जाता है। ये दोनों ग्रह एक-दूसरे से 180 डिग्री की दूरी पर स्थित होते हैं, और जब अन्य सात ग्रह इन दोनों के अक्ष के किसी भी दिशा में आते हैं, तब कालसर्प दोष या कालसर्प योग उत्पन्न होता है।
इस दोष की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब सभी ग्रह राहु-केतु के अक्ष के एक ही ओर होते हैं। यदि किसी भी ग्रह की स्थिति राहु-केतु अक्ष के दूसरी ओर होती है, तो कालसर्प योग का निर्माण नहीं होता है। यह ज्योतिषीय स्थिति व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की बाधाओं और चुनौतियों का संकेत देती है, जिससे व्यक्ति को मानसिक और भौतिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ सकता है, जैसे कि करियर, स्वास्थ्य, और व्यक्तिगत संबंध। इस दोष को दूर करने के लिए विभिन्न उपाय और अनुष्ठान किए जा सकते हैं, जो व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्रदान कर सकते हैं। ज्योतिषी से परामर्श लेकर इस दोष के प्रभाव को समझना और उचित उपाय करना महत्वपूर्ण होता है।
कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इस दोष के कारण विवाह में अनावश्यक विलंब, पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना, व्यवसाय या नौकरी में हानि, करियर में असफलता, संपत्ति का नुकसान और कानूनी विवाद जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। क्या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष का प्रभाव है?
दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण के अनुसार, कालसर्प योग एक गंभीर स्थिति है जो व्यक्ति के जीवन में दुख और कठिनाइयाँ ला सकती है। इस योग से ग्रसित व्यक्ति का जीवन अक्सर दुख और दुर्भाग्य से भरा होता है। यदि यह दोष अत्यधिक प्रभावी है, तो यह कुंडली में मौजूद सभी शुभ योगों को समाप्त करने की क्षमता रखता है।
इस प्रकार, कालसर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसके कारण व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, इस दोष के निवारण के लिए उचित ज्योतिषीय उपायों की आवश्यकता होती है।