पितृ दोष निवारण पूजा: पूर्वजों की शांति और जीवन में सुख-समृद्धि
भूमिका
भारतीय ज्योतिष में पितृ दोष को एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है, जब कुंडली में कुछ ग्रहों की स्थिति पूर्वजों के अपूर्ण कर्मों या अधूरी इच्छाओं की ओर संकेत करती है। यह दोष जीवन में कई बाधाएँ, मानसिक तनाव और पारिवारिक समस्याएँ ला सकता है। पितृ दोष निवारण पूजा एक प्रभावशाली उपाय है जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
पितृ दोष क्या है?
जब किसी व्यक्ति के पूर्वजों की आत्मा संतुष्ट नहीं होती या उनके श्राद्ध कर्म ठीक से नहीं किए गए होते, तो कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न होता है। यह दोष आमतौर पर सूर्य, राहु और केतु की विशेष स्थिति से जुड़ा होता है।
पूजा विधि
- स्थान: गंगा तट, तीर्थ स्थल या घर पर योग्य पंडित द्वारा
- मुख्य विधि:
- तर्पण और श्राद्ध कर्म
- हवन और मंत्र जाप
- ब्राह्मण भोजन और दान
- समय: अमावस्या, पितृ पक्ष या शुभ मुहूर्त
लाभ
लाभ | विवरण |
---|---|
पूर्वजों की आत्मा को शांति | अधूरी इच्छाओं की पूर्ति और संतोष |
पारिवारिक सुख-शांति | कलह और मानसिक अशांति में कमी |
रुके हुए कार्यों में सफलता | नौकरी, विवाह, संतान आदि में बाधा दूर |
ग्रह दोषों का शमन | राहु-केतु और सूर्य के अशुभ प्रभाव कम |
संतान सुख की प्राप्ति | संतान संबंधी समस्याओं में लाभकारी |
ध्यान देने योग्य बातें
- पूजा योग्य पंडित से ही कराएं
- श्रद्धा और भावनात्मक जुड़ाव आवश्यक
- ब्राह्मण भोजन और दान अनिवार्य
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