जन्म कुंडली में पितृदोष बनने की स्थिति
जन्म कुंडली में पितृदोष बनने की स्थिति

जन्म कुंडली में पितृदोष बनने की स्थिति

जन्म कुंडली में पितृदोष बनने की स्थिति | कारण, लक्षण और उपाय

जन्म कुंडली में पितृदोष बनने की स्थिति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृदोष एक ऐसा विशेष दोष है जो व्यक्ति की जन्म कुंडली में बनता है और जीवन में कई तरह की बाधाएँ लाता है। यह दोष तब बनता है जब हमारे पूर्वजों की आत्मा अप्रसन्न होती है या जन्म कुंडली में सूर्य, शनि, राहु-केतु जैसे ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं। पितृदोष को समझना और उसका निवारण करना बेहद आवश्यक माना गया है। जानें जन्म कुंडली में पितृदोष बनने की स्थिति

पितृदोष क्यों बनता है?

पितृदोष मुख्य रूप से निम्न कारणों से बनता है:

  • पूर्वजों के अधूरे कर्म या उनके द्वारा किए गए पाप।
  • श्राद्ध, तर्पण आदि कर्मकांड न करने से।
  • सूर्य और नवम भाव (पितरों का घर) का अशुभ होना।
  • राहु, केतु या शनि का नवम भाव में स्थित होना।
  • सूर्य का पापग्रहों से पीड़ित होना।

जन्म कुंडली में पितृदोष की पहचान

कुंडली में पितृदोष बनने की स्थिति को समझने के लिए हमें सूर्य, नवम भाव और उसके स्वामी की स्थिति देखनी पड़ती है। नीचे तालिका में प्रमुख योग दिए जा रहे हैं:

योग पितृदोष बनने की स्थिति
सूर्य का पापग्रहों से पीड़ित होना सूर्य का राहु, केतु या शनि से युति/दृष्टि होना
नवम भाव प्रभावित होना नवम भाव में राहु, केतु या शनि का होना
नवमेश अशुभ होना नवमेश का छठे, आठवें या बारहवें भाव में होना
अमावस्या जन्म सूर्य-चंद्र का एक साथ होना और सूर्य पीड़ित होना

पितृदोष के लक्षण

  • संतान सुख में बाधा।
  • घर-परिवार में कलह।
  • अचानक धन हानि।
  • पूर्वजों की संपत्ति में विवाद।
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानी।
  • अनावश्यक मानसिक तनाव।

पितृदोष के उपाय

ज्योतिषीय उपायों से पितृदोष को कम किया जा सकता है। कुछ प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं:

  • हर अमावस्या को पितरों को तिल-जल अर्पण करें।
  • पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण अवश्य करें।
  • पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाना और जल अर्पित करना।
  • सूर्य देव को अर्घ्य देना।
  • गाय को हरा चारा, रोटी या गुड़ खिलाना।
  • गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना।
  • भगवद गीता और गरुड़ पुराण का पाठ।

पितृदोष निवारण के विशेष उपाय

यदि कुंडली में पितृदोष गंभीर है, तो ये विशेष उपाय करने चाहिए:

  1. पितृ तर्पण: गंगा जल, तिल और कुशा से तर्पण करें।
  2. श्राद्ध कर्म: पितृपक्ष में अपने पितरों के नाम से श्राद्ध करना।
  3. नवग्रह शांति पूजन: सूर्य और शनि को प्रसन्न करने हेतु।
  4. त्रिपिंडी श्राद्ध: यह विशेष कर्मकांड पितृदोष निवारण में अत्यंत प्रभावी है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

पितृदोष केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब हम अपने पितरों का स्मरण और सम्मान करते हैं तो उनका आशीर्वाद हमें जीवन में सफलता, सुख और शांति प्रदान करता है।

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: क्या हर कुंडली में पितृदोष होता है?
उत्तर: नहीं, पितृदोष केवल उन्हीं कुंडलियों में बनता है जहाँ सूर्य, नवम भाव या उसके स्वामी अशुभ स्थिति में हों।

प्रश्न 2: पितृदोष से छुटकारा पाने का सबसे आसान उपाय क्या है?
उत्तर: अमावस्या और पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करना सबसे सरल और प्रभावी उपाय है।

प्रश्न 3: क्या पितृदोष का प्रभाव संतान पर भी पड़ता है?
उत्तर: हाँ, अक्सर पितृदोष के कारण संतान सुख में कमी या संतान को जीवन में बाधाएँ आती हैं।

निष्कर्ष

पितृदोष जन्म कुंडली का एक महत्वपूर्ण दोष है जो जीवन में कई तरह की परेशानियाँ ला सकता है। लेकिन सही ज्योतिषीय परामर्श और उपायों से इसे कम किया जा सकता है। यदि आपकी कुंडली में पितृदोष है तो आप ज्योतिष परामर्श लेकर उचित निवारण कर सकते हैं।

लेखक: ज्योतिषाचार्य लक्ष्मी नारायण, भिलाई-दुर्ग


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लक्ष्मी नारायण

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