शारदीय नवरात्रि 2025
शारदीय नवरात्रि 2025

शारदीय नवरात्रि 2025 — तारीखें, घट-स्थापना मुहूर्त व पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि 2025 — तारीखें, घट-स्थापना मुहूर्त व पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि 2025 — तारीखें, घट-स्थापना मुहूर्त, माँ दुर्गा का वाहन (हाथी), पूजा-विधि और पूरी गाइड

प्रकाशित: अप्रैल 2025 • अपडेट: 13 सितम्बर 2025 • लेखक: Durgbhilai Astrologer

शारदीय नवरात्रि 2025 हिन्दू संस्कृति का बड़ा त्योहार है। हर साल महात्म्य के साथ लोग माता दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं। इस लेख में हम शारदीय नवरात्रि 2025 की पूरी जानकारी आसान भाषा में देंगे — ताकि आप घर पर सही ढंग से पूजा कर सकें।

मुख्य बिंदु: नवरात्रि 202522 सितंबर 2025 से 1 अक्टूबर 2025 (विजयदशमी: 2 अक्तूबर 2025)। इस वर्ष माता का वाहन: हाथी (गज).

पोस्ट में क्या-क्या मिलेगा

  • पूरा दिन-वार और घट-स्थापना मुहूर्त (तालिका के साथ)
  • घट-स्थापना कैसे करें — सरल स्टेप बाय स्टेप
  • माँ दुर्गा का वाहन (हाथी) — अर्थ और संकेत
  • रोजाना करने योग्य पूजा-रूटीन, मंत्र और भोग सुझाव
  • रंग-विधान, व्रत नियम और बचाव की सलाह
  • उपयोगी तालिकाएँ
  • FAQ और निष्कर्ष

नवरात्रि 2025 — दिनवार तालिका

वार अनुसार नीचे दी गयी तालिका।

दिन तिथि (2025) नवरात्रि दिवस नोट
सोमवार 22 सितम्बर 2025 प्रतिपदा — घट-स्थापना नवरात्रि आरम्भ; कलश/घट स्थापना के बाद पूजा शुरू करें।
मंगलवार 23 सितम्बर 2025 द्वितीया दोपहर-शाम पर पूजा जारी रखें।
बुधवार 24 सितम्बर 2025 तृतीया प्रतिदिन दीप और मंत्र जप करें।
गुरुवार 25 सितम्बर 2025 चतुर्थी कन्या-पूजन की तैयारी शुरू करें।
शुक्रवार 26 सितम्बर 2025 पंचमी स्थापना की देखभाल रखें; पानी साफ रखें।
शनिवार 27 सितम्बर 2025 षष्ठी आरती और भजन के लिए घर का आयोजन करें।
रविवार 28 सितम्बर 2025 सप्तमी पूजा-प्रबंधन परिवार संग करें।
सोमवार 29 सितम्बर 2025 अष्टमी कन्या पूजा/अष्टमी व्रत का विशेष महत्व।
मंगलवार / बुधवार 30 सितम्बर / 1 अक्टूबर 2025 नवमी / समापन विजयदशमी 2 अक्टूबर 2025; प्रतिमा विसर्जन/प्रसाद वितरण करें।

नोट: स्थानीय पंचांग के अनुसार कुछ समय में मामूली अंतर हो सकता है — अंतिम मुहूर्त के लिए अपने स्थानीय पंडित या पंचांग देखें।

घट-स्थापना और प्रमुख मुहूर्त (सरल तालिका)

घट-स्थापना का समय मुहूर्त पर निर्भर करता है। नीचे सामान्य समय दिया जा रहा है — यह एक सामान्य गाइड है।

मुहूर्तसमय (IST — सामान्य गाइड)टिप्पणी
प्रतिपदा प्रारम्भ22 सितम्बर 2025 सुबह (अल्प)दिन भर प्रतिपदा चलीगी — घट स्थापना सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करें।
ब्रह्म मुहूर्त (घट स्थापना हेतु)सुबह 04:30 — 05:30 (लगभग)साफ स्नान कर के, शांत मन से घट रखें।
अभिजीत मुहूर्तदोपहर 11:40 — 12:40 (लगभग)मध्यान्ह शुभ कार्य के लिए उपयोगी।
विजय मुहूर्तदोपहर के समय (स्थानीय)घट स्थापना के लिए कई लोग यही समय चुनते हैं।
गोधुली मुहूर्तशाम के समय (सूर्यास्त के आस-पास)संध्या-पूजा के लिए अच्छा माना जाता है।
निशिथ कालरात्रि 11:30 — 12:30 (लगभग)मध्यरात्रि पूजा करने वाले इसका उपयोग करते हैं।

अंतिम और सटीक समय के लिए स्थानीय पंचांग देखें। ऊपर दिया गया समय सामान्य मार्गदर्शन के लिए है।

इस वर्ष माँ दुर्गा का वाहन — हाथी (गज) — इसका मतलब क्या है?

रिवाज के अनुसार हर वर्ष माँ दुर्गा किसी विशेष वाहन (वहन) पर आकर जाती हैं। 2025 में उनका वाहन हाथी बताया गया है। सरल भाषा में इसका अर्थ और संकेत नीचे दिया गया है:

  • कृषि-समृद्धि: हाथी का वाहन अक्सर वर्षा और खेत-खलिहान के लिए अच्छा माना जाता है।
  • आर्थिक सुधार: कुछ परंपराओं में हाथी समृद्धि और सुधार का प्रतीक है।
  • स्थिरता: हाथी धीमा पर भरोसेमंद है — यह साल स्थिरता और अच्छे नतीजों का संकेत दे सकता है।

ध्यान दें: ये धार्मिक-पारम्परिक व्याख्याएँ हैं। इन्हें जीवन के आर्थिक या वैज्ञानिक निर्णय के रूप में न लें।

घट-स्थापना कैसे करें — सरल स्टेप बाय स्टेप गाइड

नीचे सब कुछ आसान भाषा में बताया गया है। इसे पढ़ कर आप घर पर ठीक तरह से घट स्थापित कर पाएँगे:

1. तैयारी

  • घर का पूजा स्थल अच्छे से साफ करें।
  • सभी सामान एक जगह रख लें: कलश, नारियल, आम के पत्ते, दूर्वा, फूल, मिठाई और दीप।
  • अगर हो सके तो ब्राह्मण या अनुभवी किसी से मार्गदर्शन लें; पर ज़रूरी नहीं है — नीचे लिखे स्टेप से खुद भी कर सकते हैं।

2. वेदी बनाना

मिट्टी/प्लेट पर साफ़ कपड़ा रखें, थाली में हल्की मिट्टी रख कर उस पर जौ/ज्वार के दाने बो दें (यदि परंपरा है)। ऊपर कलश रखें।

3. कलश भरना और सजाना

  • कलश में पानी भरें।
  • कलश के मुंह पर आम के पत्ते रखें और ऊपर से नारियल रखें।
  • कलश के चारों ओर लाल कपड़ा बाँधें और अगर हो तो फूल चढ़ायें।

4. मंत्र और पूजा

सरल मंत्र — आप प्रतिदिन 9, 27 या 108 बार जप कर सकते हैं:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।

या

ॐ नमः दुर्गायै

5. भोग और प्रसाद

  • मिठाई, फल और पकवान (व्रत-अनुकूल) भोग में लगायें।
  • अंत में प्रसाद वितरित करें — परिवार और पड़ोसियों को भी दें।

6. कलश की देखभाल

पूरे नौ दिनों तक कलश की सफाई रखें, पानी बदल सकते हैं और फूल हर दिन बदलें।

रोज़ाना पूजा-रूटीन (सरल और असरदार)

  1. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें, हल्का स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  2. कलश पर दीप जलायें, फूल और अक्षत चढ़ायें।
  3. 9, 27 या 108 बार सरल मंत्र जप करें (ऊपर दिए)।
  4. दोपहर/शाम को घर पर भजन या आरती रखें।
  5. अष्टमी/नवमी पर विशेष पूजा और कन्या-पूजन का आयोजन करें।

टिप: यदि आप काम पर जा रहे हैं, तो सुबह छोटा-सा संकल्प और मंत्र जप कर दें — शाम को भी दीप जलाकर आरती कर सकते हैं।

दिन-वार रंग (लोकप्रिय परंपरा)

कई स्थानों पर नवरात्रि के हर दिन अलग रंग पहना जाता है। यह पूरी तरह से परंपरा और रुचि पर निर्भर है। एक सरल तालिका:

दिनरंग (प्रचलित)
दिन 1पीला / केसरिया
दिन 2हरा
दिन 3लाल
दिन 4नारंगी
दिन 5सफेद
दिन 6नीला
दिन 7गुलाबी
दिन 8बैंगनी
दिन 9संतरी / सुनहरा

आप चाहें तो इन रंगों के अनुसार घर की सजावट और वस्त्र चुन सकते हैं — पर ज़रूरी नहीं है।

व्रत के नियम (सरल)

  • व्रत रखने वाले लोग अधिकांशतः फल, दूध और व्रत-अनुकूल भोजन लेते हैं।
  • यदि स्वास्थ्य या उम्र कारणवश व्रत रखना संभव न हो, तो छोटे-छोटे उपाय (उपवास का संयम, दान, पूजा) कर सकते हैं।
  • बच्चों और बुजुर्गों के लिए हल्का व्रत या आंशिक व्रत रखें।

पूजा-सामग्री चेकलिस्ट (आसान)

  • कलश/घट, नारियल, आम के पत्ते
  • फूल, दीपक, अगरबत्ती
  • दूर्वा, हल्दी, चंदन
  • प्रसाद: मिठाई, फल, सामग्री
  • पूजा के लिए साफ कपड़ा, थाली, कलम/कागज (लिखने के लिए)

कन्या-पूजन (अष्टमी/नवमी)

कन्या-पूजन नवरात्रि का मुख्य हिस्सा है। सरल तरीके से करें:

  1. अष्टमी/नवमी को घर पर 4–9 कन्याओं को आमंत्रित करें (यदि सम्भव हो)।
  2. उन्हें साफ कपड़ा और भोजन दें, पैर धो कर बैठाएँ और पूजा कर के आशीर्वाद लें।
  3. नवमी के बाद कन्याओं को प्रसाद और कुछ वस्त्र/सामग्री दान करें।

नोट: अगर कई कन्याएँ न बुला सकें तो एक-दो बच्चे या पड़ोसी के बच्चों को मान के पूजा कर सकते हैं।

रक्षा और सावधानियां (साधारण और उपयोगी)

  • घर की सजावट में आग के पास ध्यान रखें — कपड़ा और फूल ज्वलनशील होते हैं।
  • यदि घर में वृद्ध या बच्चे हैं तो दीयों की जगह एलईडी दीये रखें।
  • किसी भी पशु/पक्षी को भोजन दें — पर्वता में दया का भाव रखें।

सुझाए गए लिंक

“पूजा-विधि पढ़ें” – “नवरात्रि मुहूर्त” ।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1: नवरात्रि 2025 किस तारीख से शुरू है?

A: शारदीय नवरात्रि 2025 22 सितम्बर 2025 से शुरू होकर 1 अक्टूबर 2025 तक मानी जा रही है। विजयदशमी 2 अक्टूबर 2025 है।

Q2: 2025 में माँ दुर्गा किस वाहन पर आ रही हैं?

A: इस वर्ष माँ दुर्गा का वाहन हाथी (गज) बताया गया है। पारंपरिक अर्थ में यह कृषि और समृद्धि के संकेत देता है।

Q3: घट-स्थापना का सबसे अच्छा समय (मुहूर्त) क्या है?

A: घट-स्थापना के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह जल्दी) व अभिजीत/विजय मुहूर्त अच्छे माने जाते हैं। स्थान के अनुसार मिनटों में अंतर हो सकता है — अंतिम मुहूर्त के लिए स्थानीय पंचांग देखें।

Q4: क्या नवरात्रि में भोजन पर कोई खास नियम है?

A: व्रत रखने वाले लोग सामान्यतः फल, दूध और व्रत-अनुकूल व्यंजन लेते हैं। स्वास्थ्य कमजोर हो तो व्रत न रखें — पूजा और दान कर सकते हैं।

Q5: क्या मैं घर पर अकेले घट-स्थापना कर सकता/सकती हूँ?

A: हाँ — सरल स्टेप्स का पालन कर के घर पर अकेले भी घट-स्थापना कर सकते हैं। ऊपर दिया गया स्टेप-बाय-स्टेप मार्गदर्शन मदद करेगा।

Durg Bhilai Astrologer Lakshmi Narayan

Whatsapp Contact – 70001-30353

निष्कर्ष

शारदीय नवरात्रि 2025 घर-परिवार और आत्मिक उठान का समय है। इस साल माता का वाहन हाथी बताने से पारंपरिक रूप से समृद्धि और कृषि में अनुकूल स्थिति का संकेत मिलता है।

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