
Top Astrologer in Bhilai-Durg
लक्ष्मी नारायण के अनुसार ज्योतिष शास्त्र की शक्ति
Top Astrologer in Bhilai-Durg: ज्योतिष शास्त्र एक गहन और व्यापक विषय है, जो केवल एक शैक्षणिक ज्ञान नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिकता और दिव्य शक्तियों से भी जुड़ा हुआ है। लक्ष्मी नारायण के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र में जन्मकुंडली, राशियां, ग्रह और नक्षत्रों के माध्यम से संकेतों का अध्ययन किया जाता है, जिससे भविष्यवाणियाँ की जाती हैं। इस प्रकार, जो व्यक्ति भविष्य जानने के लिए ज्योतिषी के पास जाता है, उसे दैवीय शक्तियों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए।
वर्तमान समय में, ज्योतिष को केवल गणित के रूप में देखा जा रहा है, जो कि एक गलत धारणा है। ज्योतिष केवल संख्याओं और गणनाओं का खेल नहीं है, बल्कि यह ईश्वर से जुड़ा एक गहन ग्रंथ है। इसे समझने और सही तरीके से उपयोग करने के लिए आध्यात्मिक साधना की आवश्यकता होती है। केवल बाहरी आडंबर और आधुनिकता के साथ ज्योतिष के बारे में बात करना पर्याप्त नहीं है; इसके लिए आंतरिक ज्ञान और दिव्य शक्तियों का होना आवश्यक है।
यदि कोई व्यक्ति केवल बाहरी दिखावे के आधार पर ज्योतिष के विषय में चर्चा करता है, तो वह वास्तव में ज्योतिष के गहरे अर्थ को नहीं समझता। ऐसे में, वह दूसरों के लिए प्रभावी उपाय नहीं कर सकता। इसलिए, ज्योतिष का सही ज्ञान और अनुभव प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति को अपने भीतर की आध्यात्मिकता को जागृत करना होगा और ईश्वर की दी हुई शक्तियों को पहचानना होगा।
लक्ष्मी नारायण के अनुसार ज्योतिष नियम
लक्ष्मी नारायण के अनुसार, यह सृष्टि का एक महत्वपूर्ण नियम है कि जो व्यक्ति अपने अन्तर्मन से समर्पित होकर गुरु और ईश्वर के पास जाता है, वह सब कुछ प्राप्त करता है। यदि कोई व्यक्ति समर्पण, विनम्रता और कृतज्ञता का भाव नहीं रखता है, तो उसे दैवीय शक्ति या मां सरस्वती की कृपा नहीं मिलती। इस प्रकार, समर्पण का भाव ही सच्चे ज्ञान और आशीर्वाद का मार्ग प्रशस्त करता है।
लक्ष्मी नारायण का यह भी कहना है कि ज्योतिषी की योग्यता का परीक्षण नहीं करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को ज्योतिष शास्त्र या ज्योतिषी पर विश्वास नहीं है, तो उसे जन्मकुण्डली या अन्य ज्योतिषीय विचारों की ओर नहीं बढ़ना चाहिए। विश्वास की कमी के कारण ज्योतिषीय ज्ञान का सही उपयोग नहीं हो पाता है, जिससे व्यक्ति को लाभ नहीं मिलता।
ज्योतिषी भविष्यवाणियाँ नहीं करते, बल्कि ग्रह-नक्षत्र स्वयं अपनी स्थिति के अनुसार संकेत देते हैं। ईश्वर के बाद, सिद्धान्त, संहिता, होरा और ज्योतिष का ज्ञान रखने वाला विद्वान ज्योतिषी ही वह व्यक्ति है, जो आपके बारे में सटीक जानकारी प्रदान कर सकता है। इस प्रकार, एक योग्य ज्योतिषी का ज्ञान और अनुभव आपके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हंसी-मजाक और मनोरंजन के संदर्भ में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देना और अयोग्य व्यक्तियों को इस विद्या का ज्ञान देना उचित नहीं है। इसके अलावा, कुपात्रों के साथ बहस करने से भी बचना चाहिए। ज्योतिषीय सलाह बिना पूछे किसी को भी नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इससे शास्त्र की गरिमा में कमी आती है।
जब तक जिज्ञासु व्यक्ति ज्योतिष का सम्मान फल, पुष्प, नारियल और दक्षिणा के माध्यम से नहीं करते, तब तक ज्योतिषी को इस दिव्य विद्या का ज्ञान प्रदान नहीं करना चाहिए। यह एक शाश्वत सत्य है कि जो व्यक्ति बिना किसी भेंट के आता है, वह बिना किसी भेंट के ही लौटता है।
इसलिए, इस विद्या का लाभ उठाने के लिए सम्मान और श्रद्धा के साथ आना आवश्यक है। विद्या की प्राप्ति के लिए उचित सम्मान का होना अनिवार्य है, जिससे व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति में सहायता मिल सके।
व्यक्ति को अपने पूर्वजन्मों में किए गए कर्मों के अनुसार ही सुख और दुःख का अनुभव होता है। ग्रह-नक्षत्र केवल संकेत देते हैं। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि व्यक्ति और उसके पूर्वजन्म के कर्मों का अध्ययन करने के लिए ज्योतिष शास्त्र एक साधन है, जो प्रारब्ध को समझने में सहायता करता है।